बिलासपुर। मेरिट में शीर्ष आने के बाद भी पीएचडी में एडमिशन न देने पर हाईकोर्ट ने गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यूजीडी के नियमों के अनुसार याचिकाकर्ता छात्राओं को नियमानुसार पीएचडी के लिए चयनित करने का निर्देश दिया। दोनों याचिकाकर्ता सत्र 2024- 25 के लिये पंजीकृत होंगे।
वाड्रफनगर निवासी अंजलि तिवारी और ज्योतिका ने गुरु घासीदास सेन्ट्रल युनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में इसी विषय पर पीएचडी करने लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दिया। सिर्फ दो निर्धारित सीटों के लिये यह प्रक्रिया कराई गई, जिसमें करीब 40 लोग शामिल हुए। यूजीसी के अनुसार लिखित परीक्षा में 70 और इंटरव्यू में 30 प्रतिशत अंक निर्धारित थे। अंजलि ने 73 नम्बर पाकर इसमें टॉप किया। ज्योतिका 72 नम्बर पाकर दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद भी 11 वें रैंक पर आई प्राची और 32 वें रैंक पर आई शिवांगी का चयन कर लिया गया।
सिर्फ इंटरव्यू के नम्बरों के आधार पर कर लिया चयन
इन दोनों को इंटरव्यू में 30 में से 30 और 29 अंक मिले थे , जबकि टॉप टेन पर रहे अभ्यर्थियों को 15 से अधिक अंक नहीं मिले। याचिका में कहा कि प्रतिवादियों को इस तरह जानबूझकर इंटरव्यू में इतने अधिक अंक दिये गए। जबकि लिखित परीक्षा में याचिकाकर्ताओं के ज्यादा नम्बर थे। इसे लेकर पहले सिंगल बेंच में याचिका लगाई गई थी। वहां से राहत नहीं मिलने पर डिवीजन बेंच में अपील की गई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी में सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया कि दोनों परीक्षा के अंक प्रतिशत के आधार पर निकाले जाते हैं, जबकि उनके मामले में यह नहीं किया गया। यूजीसी का नियम प्रतिशत के लिये हैं , यहाँ विवि ने प्रतिशत को ही सीधे अंकों में बदला दिया। कुल प्राप्त अंकों के आधार पर प्रतिशत निकालने की जगह इंटरव्यू में मिले नम्बरों के आधार पर प्रतिशत तय किया गया।