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High Court : निर्देश के बाद भी नहीं दूर हुईं मानसिक चिकित्सालय में कमियां, कोर्ट ने मंगवाई रिपोर्ट

 








बिलासपुर। सेंदरी के मानसिक चिकित्सालय में मनोरोग विशेषज्ञों की कमी के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस अस्पताल की कमियों और वर्तमान स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी हैं।अगली सुनवाई 14 दिसंबर के बाद रखी गई है। पिछली सुनवाई में शासन ने कोर्ट में कहा था कि, बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और डॉक्टरों की कमी भी दूर की जाएगी।

बता दें कि राज्य में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए 2017 में बने अधिनियम के अनुसार प्रावधान और सुविधा नहीं होने पर रायपुर के अधिवक्ता विशाल कोहली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में स्वतः संज्ञान भी लिया है। दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही है। सोमवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि, मेंटल हॉस्पिटल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका है। 17 साल पहले प्रस्तावित भवन ही पूरा नहीं हो सका। 100 बिस्तर का अस्पताल 200 तक कर दिया है मगर कोई क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट नियुक्त नहीं हुआ है। जबकि 10 हजार की आबादी पर एक सायकेट्रिस्ट जरूरी है। याचिका में बताया गया कि, डब्ल्यूएचओ के नियम अनुसार 10 हजार लोगों पर 1 मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि राज्य में 8 लाख लोगों पर एक है। प्रावधान के अनुसार हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होने चाहिए। याचिका में यह भी बताया गया कि प्रदेश के एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के लिए 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। लेकिन उनमें से मात्र 3 पद पर ही सायकेट्रिस्ट नियुक्त हैं। इसके अलावा 1 ईएनटी और 1 आर्थोपेडिक चिकित्सक की नियुक्ति कर दी गई है।

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