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हाईकोर्ट ने कहा- नदी किनारे राख फेंकने की अनुमति पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन

 



बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा जिले के कोनकोना गांव में नदी के पास पत्थर खदान में थर्मल पावर प्लांट्स द्वारा राख (फ्लाई ऐश) डंप करने के मामले में गंभीर रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि राख फेंकने की अनुमति पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन है।



सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता गोविंद गौर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने दलील दी कि कोरबा के थर्मल प्लांट्स राख को कोनकोना आर्डिनरी स्टोन माइंस के गड्ढों में डाल रहे हैं। ये गड्ढे तान नदी (हसदेव की सहायक नदी) से महज 150 मीटर की दूरी पर हैं, जबकि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 28 अगस्त 2019 के आदेश में स्पष्ट किया है कि राख डंपिंग किसी भी नदी या जलस्रोत से कम से कम 500 मीटर दूर होनी चाहिए।







याचिका में यह भी कहा गया है कि निरीक्षण रिपोर्ट में नदी को नाला दिखाकर नियमों को दरकिनार किया गया है। जबकि खनन योजना और पर्यावरणीय स्वीकृति में साफ लिखा गया था कि खदान के गड्ढे को जलाशय के रूप में विकसित किया जाएगा और उसमें फिलिंग नहीं होगी।

पर्यावरण संरक्षण मंडल (रीजनल आफिस, कोरबा) की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि राख डंपिंग की दी गई सभी अनुमतियां पहले ही रद्द कर दी गई हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इस दावे को गलत बताया।

कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, कोरबा रीजनल आफिस के अधिकारी को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर स्पष्ट करें कि वास्तविक स्थिति क्या है।मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की है।

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