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प्रमोशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार नहीं केवल अवसर, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिकाएं

 





बिलासपुर 7 सिंतनबर। हाईकोर्ट ने सचिवालय सेवा भर्ती नियम 2012 में किए गए संशोधन को संवैधानिक माना है। डिवीजन बेंच ने फैसले में कहा कि प्रमोशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार नहीं है।इसके साथ ही कर्मचारियों की ओर से दायर सभी याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया।



बिलासपुर 7 सिंतनबर. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पदोन्नति के लिए कर्मचारी मौलिक अधिकार के तौर पर दावा नहीं कर सकते। बल्कि यह केवल विचार किए जाने का अवसर है।






राज्य सरकार ने 14 जून 2021 को अधिसूचना जारी कर संयुक्त सचिव, उप सचिव, अवर सचिव और अनुभाग अधिकारी के पदों पर पदोन्नति के लिए स्नातक डिग्री अनिवार्य कर दी थी। इस संशोधन को मंत्रालय में कार्यरत अनुभाग अधिकारी, असिस्टेंट ग्रेड-1 समेत अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि सेवा के अंतिम चरण में नियम बदलना अनुचित है। वे वर्षों से फीडर पदों पर काम कर रहे हैं, कई तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। उनका तर्क था कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है और सरकार ने अतिरिक्त योग्यता अनिवार्य करने का कोई ठोस कारण नहीं बताया है।

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