बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में सुनवाई के बाद आरोपी की अपील खारिज कर सजा बरकरार रखी है। इसमें डॉक्टरों की गवाही महत्वपूर्ण रही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिगों के साथ बढ़ते अपराधों पर कड़ाई जरूरी है। एफएसएल और मेडिकल रिपोर्ट से अपराध की पुष्टि हो रही है। ट्रायल कोर्ट ने सजा सुनाने में कोई गलती नहीं की है।
सरगुजा क्षेत्र में रहने वाली 12 वर्षीय मासूम किसी बात से नाराज होकर 15 सितंबर 2017 को अपनी मौसी के घर जाने निकली थी। रास्ते में विजय नगर जिला बलरामपुर-रामानुजगंज निवासी आरोपी मोहम्मद कोसर अंसारी उसको पलटन घाट के पास बलपूर्वक उठाकर जंगल के अंदर ले गया और जान से मारने की धमकी देकर दुष्कर्म किया। आरोपी के चंगुल से छूटने के बाद मासूम डरी सहमी बस स्टैंड के पास खड़ी थी। पूछताछ करने पर उसने मौसी के घर जाने की बात कही। लोगों ने उसे मौसी के घर छोड़ दिया। पीड़िता ने परिवार वालो को घटना की जानकारी दी। 16 सितंबर को पिता ने रामानुजगंज थाने में रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने मामला दर्ज कर पीड़िता का मेडिकल कराया और मौके पर लेकर गए। पीड़िता ने आरोपी की पहचान की। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कपड़े जब्त कर एफएसएल जांच के लिए लैब भेजा। जांच में कपड़े में आरोपी के स्पर्म होने की पुष्टि हुई। मेडिकल करने वाले चिकित्सक ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने व उसकी उम्र 11-12 वर्ष होने की पुष्टि की। गवाहों और अन्य जांच रिपोर्ट पर बलरामपुर सत्र न्यायालय ने आरोपी को धारा 363, 366 के अंतर्गत 7 वर्ष, धारा 506 में एक वर्ष एवं पॉक्सो एक्ट की धारा 5(एम), 6 में दस वर्ष कारावास की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। अपील पर जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल के कोर्ट में सुनवाई हुई।आरोपी ने अपील में कहा कि पीड़िता वयस्क है, वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई। बलात्कार नहीं किया गया है। लेकिन पीड़िता के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सजा को उचित ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।