बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कहा है कि निजी नर्सिंग कॉलेजों को पाठ्यक्रम का संचालन करने के लिए आयुष विश्वविद्यालय से विधि सम्मत अनुमति लेना अनिवार्य है। इस संबन्ध में राज्य शासन द्वारा नई अधिसूचना जारी करने की जानकारी देने के बाद कोर्ट ने प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन की याचिका निराकृत कर दी।
प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन ने सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव और वकील सौरभ साहू के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेज अब तक नेशनल नर्सिंग काउंसिल और आयुष से मान्यता और अनुमति के आधार पर संचालित हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा नए नियम बनाकर सभी प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों को निजी मेडिकल कॉलेजों से मान्यता लेना अनिवार्य कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस संबन्ध में राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सुनवाई के दौरान एसोसिएशन के वकीलों ने तर्क दिया कि निजी यूनिवर्सिटी द्वारा मान्यता देने में मनमानी के साथ अन्य गड़बड़ियों की भी आशंका है। इससे कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होने के साथ छात्रों के भविष्य पर भी प्रश्रचिन्ह लग जाएगा। चिकित्सा शिक्षा को निजी हाथों में देना उचित नहीं है, इसलिए राज्य शासन की यह अधिसूचना रद्द की जाए। कोर्ट ने भी माना कि निजी विश्वविद्यालय नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से बताया गया कि अपर सचिव, छत्तीसगढ़ सरकार, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 30 सितंबर.2025 को पूर्वत व्यवस्था लागू करते हुए नई अधिसूचना जारी की जा चुकी है और इसे दो सप्ताह के भीतर आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने इसकी प्रति प्रस्तुत की। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।