Bilaspur. नीलिमा नैयर ने रिसाली निगम के अवैध निर्माण संबंधी नोटिस को हाई कोर्ट में अपने अधिवक्ता संदीप दूबे के माध्यम से चुनौती दी थी जिसने याचीकर्ता ने बताया की रिसाली में उसने २०१९ में एक जमीन ४६०० स्क्वायर फीट खरीदी थी उसके पश्चात निगम ने बिना जमीन अधिग्रहण किए ५०० स्क्वायर फ़ीट में रोड का निर्माण कर दिया इस बात की जानकारी याचिकाकर्ता को होने से उसने बाक़ी बची जमीन पर लोहे के नेट से घेर लिया इस बीच २०१३ में पार्षद सहित कुछ लोगो ने उसकी शिकायत कलेक्टर से की थी इस पर कलेक्टर ने आयुक्त नगर निगम से जांच करवायी तो यह पाया कि याचिकाकर्ता अपनी स्वम् की जमीन पर लोहे का नेट लगाकर घेरी है वो अतिक्रमण नहीं है । उसके पश्चात प्रकरण समाप्त कर दिया गया ।
पुनः नई सरकार के गठन के बाद बीजेपी पार्षद ने नए आयुक्त पर दवाब बनाकर याचिकाकर्ता के नेट जाली को तो तोड़ने का दवाब बनाकर जमीन को विवादास्पद बनाने में लग गया आयुक्त पार्षद के दबाव में फिर से नोटिस जारी कर अवैध निर्माण हटाने को कही जबकि वह निर्माण वैध था यह बात पूर्व में साबित हो चुका है । फिर भी जब दबाव बनाने लगे तो याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में प्रकरण फाइल किया जिसकी सुनवाई जस्टिस नीलिमा नैयर ने रिसाली निगम के अवैध निर्माण संबंधी नोटिस को हाई कोर्ट में अपने अधिवक्ता संदीप दूबे के माध्यम से चुनौती दी थी जिसने याचीकर्ता ने बताया की रिसाली में उसने २०१९ में एक जमीन ४६०० स्क्वायर फीट खरीदी थी उसके पश्चात निगम ने बिना जमीन अधिग्रहण किए ५०० स्क्वायर फ़ीट में रोड का निर्माण कर दिया इस बात की जानकारी याचिकाकर्ता को होने से उसने बाक़ी बची जमीन पर लोहे के नेट से घेर लिया इस बीच २०१३ में पार्षद सहित कुछ लोगो ने उसकी शिकायत कलेक्टर से की थी इस पर कलेक्टर ने आयुक्त नगर निगम से जांच करवायी तो यह पाया कि याचिकाकर्ता अपनी स्वम् की जमीन पर लोहे का नेट लगाकर घेरी है वो अतिक्रमण नहीं है । उसके पश्चात प्रकरण समाप्त कर दिया गया । पुनः नई सरकार के गठन के बाद बीजेपी पार्षद ने नए आयुक्त पर दवाब बनाकर याचिकाकर्ता के नेट जाली को तो तोड़ने का दवाब बनाकर जमीन को विवादास्पद बनाने में लग गया आयुक्त पार्षद के दबाव में फिर से नोटिस जारी कर अवैध निर्माण हटाने को कही जबकि वह निर्माण वैध था यह बात पूर्व में साबित हो चुका है । फिर भी जब दबाव बनाने लगे तो याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में प्रकरण फाइल किया जिसकी सुनवाई जस्टिस नीलिमा नैयर ने रिसाली निगम के अवैध निर्माण संबंधी नोटिस को हाई कोर्ट में अपने अधिवक्ता संदीप दूबे के माध्यम से चुनौती दी थी जिसने याचीकर्ता ने बताया की रिसाली में उसने २०१९ में एक जमीन ४६०० स्क्वायर फीट खरीदी थी उसके पश्चात निगम ने बिना जमीन अधिग्रहण किए ५०० स्क्वायर फ़ीट में रोड का निर्माण कर दिया इस बात की जानकारी याचिकाकर्ता को होने से उसने बाक़ी बची जमीन पर लोहे के नेट से घेर लिया इस बीच २०२३ में पार्षद सहित कुछ लोगो ने उसकी शिकायत कलेक्टर से की थी इस पर कलेक्टर ने आयुक्त नगर निगम से जांच करवायी तो यह पाया कि याचिकाकर्ता अपनी स्वम् की जमीन पर लोहे का नेट लगाकर घेरी है वो अतिक्रमण नहीं है । उसके पश्चात प्रकरण समाप्त कर दिया गया । पुनः नई सरकार के गठन के बाद बीजेपी पार्षद ने नए आयुक्त पर दवाब बनाकर याचिकाकर्ता के नेट जाली को तो तोड़ने का दवाब बनाकर जमीन को विवादास्पद बनाने में लग गया आयुक्त पार्षद के दबाव में फिर से नोटिस जारी कर अवैध निर्माण हटाने को कही जबकि वह निर्माण वैध था यह बात पूर्व में साबित हो चुका है । फिर भी जब दबाव बनाने लगे तो याचिकाकर्ता नोटिस को उच्च न्यायालय में प्रकरण फाइल किया चुनौती दी जिसकी सुनवाई जस्टिस एन के चंद्रवंशी के यहाँ हुआ जिस पर कोर्ट ने निगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है तब तक अवैध निर्माण संबंधी नोटिस पर स्थगन प्रदान किया है.
वार्ड जनप्रतिनिधि पार्षद चुनाव लड़ने के पूर्व शपथ पत्र लिखित रूप से देते हैं नियम विरुद्ध कार्य नहीं करना जन सेवा का कार्य करना वार्ड एवं क्षेत्र के विकास मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना और अपनी चल अचल संपत्ति का ब्योरा चार्टर्ड अकाउंटेंट के द्वारा प्रमाणित बैंक स्टेटमेंट के साथ चुनाव फॉर्म में संकलित किया जाता है जिसमें ईमानदार होने की कसमे खाना वादे निभाना यह चुनाव लड़ने के पूर्व।
जब वार्ड पार्षद अध्यक्ष महापौर चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित हो भाजपा कांग्रेस निर्दलीय बहुत ही अल्प देखने और समझना और जानने में आता है की शपथ पत्र के अनुरूप उनका व्यवहार आचरण चुनाव जीतने के उपरांत भिन्न-भिन्न भाषाओं और नियमों को बताते हुए बदला बदला सा नजर आने लगता है अब जनता करें तो क्या करें मूलभूत सुविधा और अन्य कार्यों के लिए मन मार कर जाना तो उन्हीं के पास रहता है सत्ता का उपयोग दुरुपयोग कुछ सेवा के रूप में तो कुछ स्वयं के मेवा के रूप में कर लेते हैं बिलासपुर भी एक ऐसा भू जमीन और खनन खनिज माफियाओं की शरणास्थली है जहां पर शासकीय सरकारी जमीन चबूतरा दुकान मकान खेत खलियान को आपस की जुगलबंदी में ऐसे लोग डकार गए और मिली भगत से शासकीय जमीनों के दस्तावेजों को पंख लगाकर इधर का उधर अपने राजनीतिक धौस पहुंच नेताओं की चरण चुंबता को दर्शाते हुए करवाने में कामयाब हो जाते हैं
इनके फोटो सेशन को देखकर अधिकारी कर्मचारी भी उनके काले कारनामों पर पर्दा डालते हुए सफेद को कला और कल को सफेद करने पर मजबूर हो जाते हैं,
ठेकेदारी सप्लाई से लेकर हर तरह के शासकीय कार्यों में इनकी दखलनदाजी पूर्ण रूपेण रहती है नाम बदलकर चेहरा बदलकर समय-समय पर उपयोग स्वहित में करते हैं जनता की सुविधा एक तरफ स्वयं का ताजमहल पहली प्राथमिकता शपथ पत्र सीए बैंक स्टेटमेंट चल अचल संपत्ति चुनाव लड़ने के पूर्व इंगित जमा चुनाव फॉर्म को इनके चलित कार्यकाल निरीक्षण संबंधित इनकम टैक्स सेल टैक्स विभाग यदि करें तो ऐसी जनसेवक की सच्चाई सबके सामने वास्तविक आईना दिख जाता है यह सिलसिला सुशासन अनुशासन का काव्य पाठ आमजनों को पढ़ाया जाता है
 

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