बिलासपुर. तीन करोड़ 80 लाख की रॉयल्टी में गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट ने वसूली के लिए की जा रही कार्रवाई की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई में शासन के वकील ने बताया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार रॉयल्टी का भुगतान न करने के लिए ठेकेदार के विरुद्ध अनुमानित वसूली 1 करोड़ 24,520 रुपये बनती है। इस वसूली के संबंध में अभी पूरी जानकारी ली जा रही है। हाईकोर्ट ने जांच के लिए दो सप्ताह का समय देकर अगली सुनवाई निर्धारित की है।
पेंड्रा क्षेत्र में वन विभाग के अंतर्गत 121 एनिकट का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिये बड़ी मात्रा में ट्रकों, हाइवा के माध्यम से रेत- गिट्टी आदि खनिजों की सप्लाई की गई। इसमें हरेक वाहन से रॉयल्टी रसीद लेकर ही फिर बिलों का भुगतान किया जाना था। वन विभाग ने रॉयल्टी की पर्ची देखे बिना ही खनिज परिवहनकर्ता को पूरा भुगतान कर दिया। इसे लेकर स्थानीय सामजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता पुष्पराज सिंह ने विभाग में अभ्यावेदन दिया। उनको कभी डीएफओ तो कभी रेंज ऑफिसर के दफ्तर में रसीदें मिलने का आश्वासन दिया गया। बाद में पता चला कि रॉयल्टी पर्चियां वन संरक्षक बिलासपुर ऑफिस में हैं।
पुष्पराज सिंह की शिकायत के बाद माइनिंग विभाग ने अपनी ओर से जांच शुरू की। इस बीच याचिकाकर्ता ने एडवोकेट भास्कर प्यासी के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरु की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। पूर्व में हुई सुनवाई में शासन ने कहा था कि रॉयल्टी की रसीदें हमारे वन विभाग कार्यालय में उपलब्ध हैं। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ने विरोध करते हुए कहा कि , कोर्ट में इन्होने एक भी रसीद प्रस्तुत नहीं की है। डीबी ने शासन के जवाब पर याचिकाकर्ता को भी प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। सात नवंबर को सुनवाई में राज्य के अधिवक्ता ने बताया कि 15.अक्टूबर 2024 की जांच रिपोर्ट के अनुसार, रॉयल्टी का भुगतान न करने के लिए ठेकेदार के विरुद्ध अनुमानित वसूली 1,00,24,520.67 रुपये बनती है और कुछ अत्यधिक खनन भी हुआ था।
शासन की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि संबंधित ठेकेदार से राशि की वसूली के संबंध में सटीक स्थिति की जानकारी अभी तक उनके द्वारा नहीं ली गई है। डिवीजन बेंच ने दो सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित करते हुए शासन के अधिवक्ता को वसूली के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने को कहा है।