बिलासपुर. सिम्स एक बार फिर आर्थिक अनियमिताओं को लेकर सवालों में है. समय- समय पर सिम्स में आर्थिक गड़बड़ी सामने आती रहती है. लेकिन सिर्फ जाँच कमिटी बना कर रिपोर्ट पेश कर दी जाती है. जो की कभी सार्वजनिक नहीं होती, जिससे ये साबित होता है कि ये जाँच सिर्फ खाना पूर्ति के लिए की जाती है, इसमें कार्रवाई नदारद रहती है. हाल ही में स्वास्थ मंत्री श्याम जैसवाल ने सिम्स का दौरा किया जिसमे एक और गड़बड़ी उजागर हुई है.कुछ दिनों पूर्व बिलासपुर जिला कलेक्टर सिम्स प्रबंधन जिला लापरवाही पर खासे नाराज हुए थे हाउसकीपिंग सेनेटरीगं सफाई सिक्योरिटी सुरक्षा बड़ी मात्रा में दवाई खरीदी सफाई उपकरण फिनाइल क्लोरीन डस्टबिन रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले स्टेशनरी समान उपकरण इन सभी खरीदी पर अनियमितता बरतने वाले सप्लायर ठेकेदार को आखिर कौन संरक्षण दे रहा कौन इनकी पैरवी करता क्यों नहीं ऐसे लोगों पर कार्यवाही होती अनीयमितता की राशि इसे क्यों नहीं वसूली जाती। यह सब सवाल खड़े करता है सिम्स प्रशासन
मंत्री शयाम जैसवाल के सिम्स दौरे के दौरान ये बात उजागर हुई कि सिम्स द्वारा बेतुके खर्च के प्रस्ताव बनाए गए थे. जिसमे तीन हजार रूपए की एक बेडशीट और रूपए के सीसीटीवी कैमरा खरीदने का प्रस्ताव शामिल था. जो की बाजार की कीमत कही ज्यादा अधिक था. अगर इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो गड़बड़ियां आगे भी जारी रहेंगी.
साल 2013-14 में हुए भर्ती गड़बड़ी की एसआइटी जांच कराई गई थी। टीम ने इसकी रिपोर्ट शासन को सौपी थी। इस रिपोर्ट में गड़बड़ी का पर्दाफाश हो जाने की बात कही गई थी, लेकिन जांच रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। वहीं इस मामले को दबा दिया गया और जो भी गड़बड़ी के माध्यम से नौकरी पाई थी, वे आज नियमित हो चुके हैं। इन्हें भी नियमित पूर्व डीन डा़ केके सिहारे द्वारा किया गया है।
सिम्स में लांड्री मशीन घोटाला भी हुई है। इसमे यह बात सामने आई कि जिस लांड्री मशीन को 59 लाख रुपये में खरीदा गया है, उसकी वास्तविक कीमत महज 18 लाख रुपये रही। इस मामले को भी जांच के दायरे में लिया गया, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई। इस मामले को भी दबा दिया गया है। इस तरह से अन्य छोटे बड़े घोटाले हुए हैं, सभी को दबा दिया गया ।