बिलासपुर। भारतीय जनता पार्टी में संगठन के कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। कई कार्यकर्ता दूसरी पार्टी में शामिल हो गए है। ये ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो अटल, दीनदयाल, श्याम प्रसाद की विचारधारा से जुड़े हुए और दरी बिछाने- उठाने वाले कार्यकर्ता हैं। इनको समझ में नहीं आ रहा की इस स्थिति से कैसे निबटें? क्योंकि मंच माला माइक कुछ खास लोगों को ही मिल रहा है। कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि जो आधी उमर तक अपनी पार्टी का नही हुआ वो सत्ता लोभ में भाजपा में आकर महत्वपूर्ण हो गया है। ये लोग अंत्योदय को क्या समझेंगे? निगम मंडल के लिए भी पार्टी के नेता ऐसे लोगो का नाम सीएम को दे रहे है , अब दरी उठाने वाला कार्यकर्ता करे भी तो क्या, ऊपर से आदेश दूसरी पार्टी के आए नेता को पद और सम्मान मिले, यानी दरी उठाने वालो का काम खत्म नहीं हुआ।
दरी ही उठना पड़ेगा और दूसरी पार्टी के नेताओं की आवभगत करनी पड़ेगी। अटल, दीनदयाल , और श्यामा प्रसाद ऊपर से देखते होंगे तो सोचते होंगे हमारी पार्टी की सुचिता कहा है? बड़े नेता अपने संबंधों पर कार्यकर्ताओं का गला काट रहे है , सत्ता में कई साल रहे अभी भी बने हुए है और अब अपने संबंधों के लोगों का भाजपा प्रवेश करा कर कार्यकर्ता की बलि ले रहे हैं। कब किसकी बलि ये नेता चढ़ा देते है कार्यकर्ता को पता भी नही चलता। हालांकि कुछ कार्यकर्ता कह रहे है कि बाहरी नेताओं को भविष्य में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन निगम, मंडलों में बाहरी नेता को पद मिला, तो भी दरी उठाने वाला कार्यकर्त्ता कुछ बोलेगा नही क्योंकि दरी उठाने की आदत पड़ गई है। हालाकि कार्यकर्त्ता नए मंत्री के साथ जुड़कर संभावना तलाश रहे हैं।