Bilaspur. राजस्व निरीक्षकों की भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप को लेकर पेश जनहित याचिका हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि, प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करना शासन की जवाबदारी है, वही यह निर्णय करेगी कि, किसके माध्यम से इसे आयोजित किया जाये।
स्थानीय अधिवक्ता शशिभूषण पाण्डेय ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पेश कर कहा कि, राज्य में की जा रही राजस्व निरीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। निर्धारित नियमों को छोड़कर शासन इनके रिक्त पदों पर नियुक्ति करने की तैयारी कर रहा है। इस परीक्षा को फिलहाल स्थगित करने के साथ नए सिरे से निर्धारित एजेंसी के माध्यम से ही पूरी प्रक्रिया करने का अनुरोध किया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में मामले की बुधवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने कहा कि, प्रदेश में बड़ी संख्या बेरोजगार युवाओं की है। बड़ी मुश्किल से शासन के विभागों में भर्ती के अवसर आते हैं। इस स्थिति में इस प्रकार से जनहित याचिका लेकर आना आम युवाओं का भविष्य प्रभावित करने जैसा ही है। डीबी ने कहा कि यह सरकार को देखना है कि वह व्यापम के माध्यम से या पीएससी के माध्यम से भर्ती करे। इसके साथ ही यह याचिका खारिज कर दी गई।