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पूरी नहीं हुई मोदी की ये वाली गारंटी ! DA पर हक़ रह गया अधूरा ? ट्रोल हो गए कलेक्टर साहब

 






गरियाबंद। जिले में पहाड़ों के ऊपर जनजाति बसाहट वाले ग्राम पंचायत आमामोरा और ओड में 20 से ज्यादा हैंडपंप मौजूद हैं, लेकिन सभी में लाल पानी यानी आयरन युक्त पानी निकलता है. इसलिए इन स्रोतों के पानी का उपयोग कभी पीने के लिए नहीं किया जाता. पंचायत मुख्यालय और उनके 5 आश्रित ग्रामों में झेरिया खोदा गया है. इसी झेरिया से ग्रामीण सालभर पीने के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं.

ओड के सरपंच रामसिंह सोरी कहते हैं कि वर्तमान में जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक घरों में नल का कनेक्शन भी लगाया गया है, पानी टंकी और पाइप लाइन का काम जारी है. इस योजना के तहत पुराने आयरन युक्त पानी स्रोत को कनेक्ट कर घर-घर पानी देने की तैयारी किया जा रही है, लेकिन इस पानी को कोई नही पी सकेगा. सरपंच ने कहा कि पहाड़ों में बसे ग्राम के सभी जल स्रोत में आयरन होने की जानकारी प्रशासन को है, बार बार रिमूवल प्लांट लगाने की तक मांग की जा चुकी है लेकिन इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया है.

बता दें अंबिकापुर तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो, नजूल कार्यालय में पदस्थ रीडर अजय तिवारी, आरआई नारायण सिंह व राहुल सिंह के खिलाफ अंबिकापुर पुलिस ने धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत अपराध दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़ा की शिकायत शिकायत कैलाश मिश्रा ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित कलेक्टर सरगुजा से की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उक्त मामले में संलिप्त लोगों ने 4.22 एकड़ जमीन राजस्व विभाग के अधिकारी सहित कुछ पटवारी व राजस्व निरीक्षक की मिलीभगत से 50 करोड़ से अधिक में बेच दी। शिकायत के अनुसार नमनाकला, अंबिकापुर स्थित शासकीय नजूल भू-खण्ड क्रमांक 243/1 रकबा 1.710 हे. (4.22 एकड़) सरकारी भूमि सरगुजा सेटलमेंट मे गोचर मद की भूमि में दर्ज थी। 1977-78 में एक ग्रामीण बंसू राम को यह जमीन पट्टे में मिली थी। बाद में शासन द्वारा इस जमीन को गोचर भूमि के रूप में दर्ज किया गया। इस बेशकीमती जमीन को आरोपियों ने प्रशासनिक अमले से मिलीभगत करके दोबारा बंसू राम के नाम पर दर्ज करने का षड्यंत्र रचा। पूर्व में जिस बंसू राम को जमीन का पट्टा मिला था, उसकी बरसों पहले मौत हो चुकी थी। फर्जीवाड़ा करने वालों ने इसके लिए ग्राम फुन्दुरडिहारी निवासी बंसु आत्मज भटकुल की तलाश कर ली और उसे कार्यालय में खड़ा कर उसके नाम पर जमीन दर्ज करा ली। इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो, नजूल कार्यालय में पदस्थ रीडर अजय तिवारी, आरआई नारायण सिंह व राहुल सिंह की भूमिका संदिग्ध बताई गई है।


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