वैद्यशाला | डॉ. किरण वर्मा
| डॉ. किरण वर्मा | डॉ. मनोज चौकसे
एम.डी. (कौमारभृत्य)
बी.ए.एम.एस. (आर.एस.यू.)
आयुर्वेद चिकित्सा एवं पंचकर्म संस्थान शिशुरोग विशेषज्ञा (आयु.) पंचकर्म प्रशिक्षित (कोट्टकल-केरल)
परामर्श समय मध्यान्ह 12.30 से सांय 4.30 बजे तक
हमारा पता
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मो. 88712-39760
मो. 98271-71060 (व्हाट्सअप) 81098-63568
अरपा पुल के पास, मेन रोड, नेहरू नगर चौक, बिलासपुर (छ.ग.) फोन नं.- 07752-412224
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दिनांक
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• हल्दी चूर्ण, चिरचिरे की भस्म, थूहर दूध से निर्मित क्षारसूत्र चिकित्सा मलद्वार के रोगों हेतु वरदान
बिलासपुर/वैद्यशाला आयुर्वेद चिकित्सा एवं पंचकर्म संस्थान, अरपा पुल के पास, मेन रोड़ नेहरू चौक, बिलासपुर में 20 नवंबर को विश्व बवासीर दिवस (वर्ड पाईल्स डे) के अवसर पर 5 दिवसीय निःशुल्क पाईल्स (बवासीर), फिशर (मलद्वार का छिलना), फिस्टुला (भगंदर) जांच एवं चिकित्सा हेतु शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शिविर में विभिन्न जिलों, ग्रामीण अंचलों, नगरवासियों द्वारा लाभ प्राप्त किया जा रहा है।
शिविर के चौथे दिन मिलाकर लगभग 575 रोगियों ने जांच कराई एवं चिकित्सा प्राप्त की जिसमें लगभग 215 पाईल्स, 95 मलद्वार का छिलना (फिशर), 185 भगंदर (फिस्टुला), 11 एनोरेक्टल प्रोलेप्स (गुदभ्रंस) एवं शेष अन्य रोगो के मरीज थे। इस शिविर में साथ ही वातरोग (घुटने-कमर-गर्दन - कंधे - कोहनी - एड़ी दर्द), त्वचा रोग, डायबिटीज (मधुमेह / शर्करा रोग), शिशु रोग, स्त्री रोग जैसे इनफर्टिलिटी, श्वेत, रक्तप्रदर रोग, अनियमित मासिक धर्म आदि रोगों के भी मरीजों का आयुर्वेद विशेषज्ञ चिकित्सकों ने चिकित्सा प्रदान की ।
सभी रोगियों कों दैनिक जीवनशैली के विकृत होने वाले गंभीर रोग हेतु जागरूक कने पत्र-पत्रिकाओं का भी निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। मलद्वार के रोगों का मुख्य कारण मलबद्धता (कब्ज) माना जाता है। आधुनिक जीवनशैली में अनेकानेक जनसामान्य कब्ज (पेट साफ न होना) से परेशान है। अतः कब्जियत को दूर करने से भी चिकित्सा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
क्षारसूत्र का निर्माण हल्दी चूर्ण, चिरचिरे की भस्म, स्नूही (थूहर) के दूध आदि औषधों के संयोग से महर्षि सुश्रुत शल्यतंत्र के जनक द्वारा सुश्रुत संहिता में बताया गया है। वैद्यशाला संस्था द्वारा विगत 12 वर्षो से माह नवम्बर में चिकित्सा शिविर कर 24 रोगियों की निःशुल्क क्षारसूत्र चिकित्सा (शल्य-क्रिया) अपने खर्चे में कराई जाती है। यह अपने तरह का यह एक अनूठा प्रयोग है, जिसे चिकित्सा जगत में समाज के प्रति सेवाभाव एवं इस महत्वपूर्ण विधा आयुर्वेदीय क्षारसूत्र चिकित्सा के प्रचार प्रसार के प्रयोजन से किया जाता है।

