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केंद्रीय मंत्री तोखन साहू के जन्मदिन पर मिला रिकार्ड तोड़ बधाई संदेश और बधाई देने के लिए लोगों का लगा रहा ताता

 



भारत की संसद में बिलासपुर का गौरव और केंद्र सरकार में आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री, श्री तोखन साहू जी, का जन्मदिवस एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोक-आस्था का एक विराट उत्सव बन गया। यह दिन 'सेवा', 'स्वदेशी' और 'संस्कार' की त्रिवेणी में समाहित, एक जननायक के प्रति जनता के अटूट प्रेम और विश्वास का ऐतिहासिक प्रमाण था।




इस महान दिन का आरंभ किसी सरकारी दफ्तर या विशाल मंच से नहीं, बल्कि घर की चौखट से हुआ। श्री साहू जी ने सर्वप्रथम अपने आदरणीय पिता श्री बलदाऊ साहू के चरण स्पर्श किए और अपनी स्वर्गीय मां शांति देवी की पूजा-अर्चना कर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया। यह दृश्य बताता है कि उनकी जनसेवा की अटूट ऊर्जा का स्रोत पारिवारिक संस्कार और नैतिक जड़ें हैं। माता-पिता के आशीर्वाद की पावन शक्ति लेकर ही उन्होंने अपने विशाल जनसंपर्क अभियान का श्णेश किया।









दिल्ली से बिलासपुर तक, देश के शीर्ष राजनीतिक पटल ने इस जननायक का अभिनंदन किया। गृहमंत्री श्री अमित शाह, और उनके विभागीय मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर सहित कई केंद्रीय नेताओं प्रदेश के राज्यपाल श्री रमेन डेका , मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत पार्टी राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारी एवं प्रदेश अध्यक्ष,छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री सहित मंत्रीमंडल के सदस्यगण, सांसदो , विधायकों सर्व समाज,व्यपारिक संगठनों ने उन्हें  शुभकामनाएं भेजीं और बधाई दिये । यह सम्मान सिर्फ एक मंत्री को नहीं, बल्कि उस जनसेवक को मिला, जिसने विकास को गांव-गांव और घर-घर तक पहुँचाने का संकल्प लिया है। भाजपा संगठन के कार्यकर्ता उन्हें ‘जनसेवा की नई पहचान’ बताते हुए उनके नेतृत्व को विकास की गारंटी मानते हैं।


15 अक्टूबर को जैसे ही घड़ी ने आधी रात को छुआ, बिलासपुर की सड़कें जन-आस्था के सैलाब से भर गईं। हजारों की संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक ढोल-नगाड़ों और ‘तोखन साहू जिंदाबाद!’ के नारों के साथ उनके निवास पर उमड़ पड़े। यह दृश्य किसी राजनीतिक घोषणा से कम नहीं था—यह जन-शक्ति का वह विस्फोट था, जिसने सिद्ध किया कि श्री तोखन साहू जनता के हृदय में निवास करते हैं। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने विकसित बिलासपुर के सपने को साकार करने की शपथ ली।


सुबह का सबसे प्रेरणादायक और नवीन अध्याय था "रन फॉर स्वदेशी"। 1100 से अधिक युवाओं ने जोश के साथ दौड़ लगाई, जो केवल एक दौड़ नहीं थी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और ‘वोकल फॉर लोकल’ के राष्ट्रीय संकल्प के प्रति युवाओं की प्रतिबद्धता का शंखनाद था। श्री साहू जी ने अपने जन्मदिन को राष्ट्र के आर्थिक गौरव से जोड़कर एक दूरदर्शी नेता का परिचय दिया।



जन्मदिन को उन्होंने श्रद्धा और सेवा के उच्चतम शिखर पर पहुंचाया। उन्होंने सपरिवार माँ महामाया देवी, रतनपुर के चरणों में आराधना की, और तत्पश्चात गौसेवा धाम में स्वयं गौमाताओं की सेवा की।  उन्होने कहा कि  "मां महामाया की कृपा और जनता का स्नेह — यही मेरी जीवनशक्ति है"

इस दिन को कार्यकताओं ने  'सेवा दिवस' बनाया गया। 'मातृछाया' में बच्चों को दान से लेकर, वृद्धाश्रमों में अन्न-वस्त्र वितरण तक, सेवा की एक अटूट श्रृंखला चली। कार्यकर्ताओं ने गांवों में लड्डू से तुलादान कर अपने नेता के प्रति सम्मान व्यक्त किया। यह जननायक अपने जन्मदिन को समाज के सबसे वंचित वर्ग तक स्नेह और सहयोग पहुँचाने के लिए समर्पित करता है।


*कुंदन पैलेस में जन-शक्ति का विराट दर्शन*


शाम को कुंदन पैलेस में देश और प्रदेश से आए हजारों लोगों का ऐतिहासिक जनमहाकुंभ उमड़ पड़ा। यह अनवरत जन-प्रवाह, जिसमें विधायक, पदाधिकारी, युवा और आम नागरिक शामिल थे, श्री तोखन साहू के प्रति जनता के अटूट और निःस्वार्थ विश्वास का साक्षी था। इस अभूतपूर्व स्नेह को स्वीकार करते हुए, उन्होंने जीवन के हर क्षण को जनसेवा को समर्पित रखने का अपना संकल्प दोहराया। यह समारोह सिद्ध करता है कि श्री तोखन साहू केवल एक नेता नहीं, बल्कि लोक-आस्था के केंद्र में स्थापित एक सच्चे जननायक हैं

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