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आयकर विभाग के अधिकार क्षेत्र पर हाईकोर्ट का आदेश,वैध रजिस्टर्ड संस्था को टैक्स छूट मिलने के बाद नहीं कर सकते दोबारा जांच

 







बिलासपुर 3 अगस्त। आयकर विभाग के अधिकार क्षेत्र पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी संस्था को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12 एए के तहत पंजीकरण प्राप्त है, और वह पंजीकरण वैध है, तो आयकर विभाग उस संस्था की गतिविधियों की प्रामाणिकता या स्वरूप की दोबारा जांच नहीं कर सकता। खासकर जब बात धारा 80 जी के अंतर्गत छूट का अनुमोदन मिल चुका हो।








हाईकोर्ट ने रायपुर आयकर आयुक्त द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), रायपुर पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें आधारशिला शिक्षण संघ को आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अंतर्गत छूट की स्वीकृति देने का निर्देश दिया गया था। पंजीकृत संस्था आधारशिला शिक्षण संघ ने 28 फरवरी 2014 को आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत छूट अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। इस पर आयकर आयुक्त, रायपुर ने संस्था की गतिविधियों की वास्तविकता की जांच के लिए मूल्यांकन अधिकारी से रिपोर्ट मंगाई।

 संस्था ने अपनी ऑडिट किए गए वित्तीय विवरण, मूल दस्तावेज और अन्य सूचनाएं प्रस्तुत कीं, जिनमें यह बताया कि संस्था व्यावसायिक शिक्षा देती है और नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों के लिए हॉस्टल संचालित करती है। हालांकि, 8 अगस्त 2014 की रिपोर्ट में आयकर आयुक्त रायपुर ने यह कहा कि संस्था की गतिविधियां व्यावसायिक हैं क्योंकि वह फीस लेती है और सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से भी धन प्राप्त करती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संस्था ने अपने भवन वाणिज्यिक किराए पर दिए हैं और अधोसंरचना विकास के लिए बड़े ऋण भी लिए हैं। इन तथ्यों के आधार पर, आयकर आयुक्त ने 25 अगस्त 2014 को 80 जी के  अनुमोदन का आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संस्था परोपकारी नहीं बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों में संलग्न है।

आयकर विभाग के आदेश से असंतुष्ट होकर संस्था ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण रायपुर में अपील दायर की। अधिकरण ने 15 जनवरी 2019 को पारित आदेश में संस्था की अपील स्वीकार कर ली और कहा कि जब संस्था को पहले ही पंजीकरण मिल चुका है और वह रद्द नहीं हुआ है, तो आयकर आयुक्त को धारा 80 जी के तहत छूट देने से इनकार करने का अधिकार नहीं है। अधिकरण ने स्पष्ट कहा: जब आयकर आयुक्त ने धारा 12 एए के तहत पंजीकरण प्रदान किया है और ट्रस्ट की गतिविधियों की वास्तविकता की जांच की है, तथा पंजीकरण रद्द नहीं किया गया है, तो यह उचित नहीं है कि आयकर आयुक्त यह कहकर धारा 80 जी की छूट अस्वीकार कर दे कि ट्रस्ट की गतिविधियां वास्तविक नहीं हैं। इस आदेश को आयकर आयुक्त ने हाईकोर्ट में चुनौती देते अपील की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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