बिलासपुर 11 मई। फाइनेंस कंपनी द्वारा वाहन का कब्जा प्राप्त करने के बाद भी चेक बाउंस होने के आधार पर उपभोक्ता के खिलाफ प्रकरण चलाया गया। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने धारा 138 (चेक बाउंस) की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए फाइनेंस कम्पनी को नोटिस जारी किया है।
बिलासपुर 11 मई. चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी ने याचिकाकर्ता रिंकेश खन्ना को वाहन क्रय करने के लिए ऋण प्रदान किया था। इसके लिए नियमानुसार एग्रीमेंट भी किया गया था, जिसमें ऋण राशि के समान मासिक किस्तों में भुगतान करने की शर्तें शामिल की गई थीं। चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी द्वारा ऋण भुगतान की सुरक्षा के रूप में वाहन खरीदार से अग्रिम चेक लिए गए।
व्यापार हानि एवं अन्य कारणों से याचिकाकर्ता रिंकेश खन्ना ने फाइनेंस कराए गए वाहन को वापस कंपनी के पक्ष में सरेंडर कर दिया गया तथा दिए गए अग्रिम चेक वापस मांगे। फाइनेंस कम्पनी ने सुरक्षा निधि के चेक वापस न कर न्यायालय में धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनियम के तहत कार्यवाही प्रारंभ कर दी। इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता रिंकेश खन्ना ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में विचारण न्यायालय में लंबित समस्त कार्यवाहियों को निरस्त करने की प्रार्थना की गई।
वाहन वापस लेने के बाद कंपनी चेक का उपयोग नहीं कर सकती
याचिका में बताया गया कि,वाहन वापस प्राप्त करने के बाद फाइनेंस कंपनी उपभोक्ता से लिए गए अग्रिम चेक भुगतान के लिए उपयोग नहीं कर सकती। चेक प्रतिफल विहीन होने के कारण धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनियम के तहत चेक बाउंस होने का प्रकरण दायर नहीं किया जा सकता। प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने धारा 138 की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए फाइनेंस कम्पनी को नोटिस जारी किया है।