Bilaspur. शल्य तंत्र चिकित्सा विज्ञान के जनक महर्षि सुश्रुत द्वारा वर्णित छारसूत्र प्रक्रिया ( शल्यक्रिया ) मलद्वार के रोग पाइल्स ( बवासीर ) फिशर ( मलद्वार का छीलना ) फिस्टुला ( भंगदर ) के इलाज हेतु उत्कृष्ट प्रक्रिया है इस चिकित्सा का सबसे बड़ा लाभ ये है की मलद्वार के रोगों की पुनरावर्तित की फिर से होने संभावना नहीं होती .
- सरल, सुलभ, सस्ती एवं स्थायी चिकित्सा.
- बिना काटे, चीरे-सिले, रक्तस्राव हीन प्रक्रिया.
- रोग के मूलकारण पर कार्यकर बवासीर के मस्सों को जड़ से गिरा देती है.
- भंगदर के नाली से मवाद दूषित रक्त को शोधित कर वर्ण-रोपण (घाव-भरना) करती है.
- शल्य के पश्चात् किसी भी प्रकार के उपद्रव की संभावना नहीं
- बिना भर्ती हुए रोगी को लाभ .