copyright

CG Exclusive: 200 से अधिक स्कूलों में चपरासी नहीं, गुरुजी ही बजाते हैं घण्टी, लगाते हैं झाड़ू

 





बिलासपुर। राज्य के स्कूलों में भृत्यों और अन्य चतुर्थ वर्ग कर्मियों की नियुक्ति नहीं की गई है। हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। सचिव स्कूल शिक्षा के शपथपत्र में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को स्वीकृत किये गए फंड के संबंध में कोई जानकारी नहीं दिए जाने पर चीफ जस्टिस की डीबी ने सवाल किया तो महाधिवक्ता के अनुरोध पर शासन को 3 सप्ताह का समय जवाब देने के लिए दिया गया है।


समाचार पत्रों के माध्यम से ये बात सामने आई थी कि शासकीय स्कूलों में शिक्षक ही चतुर्थ वर्ग कर्मचारी का काम भी कर रहे हैं और स्कूल कि घंटी भी शिक्षक ही बजाने को मजबूर हैं क्योंकि वहां कोई भृत्य ही नहीं है। स्कूलों में केंद्र शासन कि योजना के तहत इन कर्मचारियों की भर्ती होनी है। इस पर ही हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था और सुनवाई के बाद पहले चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्कूल शिक्षा सचिव से शपथपत्र माँगा था। सचिव द्वारा पेश शपथपत्र के बाद कोर्ट ने कहा है कि उक्त शपथ पत्र काफी परेशान करने वाला प्रतीत होता है क्योंकि उक्त शपथ पत्र में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को स्वीकृत किए गए फंड के संबंध में कोई विवरण नहीं दिया गया है।

मिडिल स्कूल के बाद ड्रॉपआउट कम करनेराष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत बिलासपुर 2009-10 में जिले में ही 9 वीं और 10 वीं के 98 स्कूल खोले गए हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति तो की गई पर 14 साल बाद भी चपरासी, क्लर्क और सफाई कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है। 36 करोड़ खर्च कर बनाए गए स्कूलों का ताला खोलने से लेकर घंटी बजाने, स्कूल में झाड़ू लगाने, क्लर्क के काम शिक्षक ही करते हैं। स्कूलों में कम्प्यूटर है पर इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। शिक्षकों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है, इसलिए इतने सालों से कम्प्यूटर प्रिंसिपल के कमरे में धूल खाते पड़े हैं। सेटअप में संस्कृत के शिक्षक की नियुक्ति नहीं है, इसलिए दूसरे विषय के शिक्षक पढ़ाई कराते हैं।


खाली पदों पर भर्ती नहीं


गौरतलब है कि प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में चपरासी के 1009 पद स्वीकृत हैं। इनमें 541 स्कूलों में चपरासियों की नियुक्ति की गई है तो 468 पद अभी भी रिक्त हैं। ध्यान रहे कि जिले सहित प्रदेश में अधिकांश जगहों पर प्राइमरी, मिडिल और आरएमएसए के स्कूल एक ही परिसर में है। यहां प्राइमरी और मिडिल में तो चपरासी और सफाई कर्मचारी हैं लेकिन आरएमएसए में कोई नियुक्ति नहीं है। कुछ आरएमएसए के स्कूलों में प्राइमरी, मिडिल स्कूलों में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सफाई कर देते हैं लेकिन अधिकांश जगहों पर ऐसा नहीं होता। ज्ञात हो कि आरएमएसए के तहत बिलासपुर में 98 तो गौरेला पेंड्रा मरवाही में 19 स्कूल खोले गए। एक भवन में तीन कमरे और एक स्टाफ रूम की व्यवस्था है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.