बिलासपुर। राज्य सरकार द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। राज्य सरकार द्वारा तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू अभिलेख, सहायक अधीक्षक भू अभिलेख और जनपद पंचायत के सीईओ (ट्रायबल विभाग) के 215 ट्रांसफ़र किए गए थे। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 23 फरवरी को केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा जारी पत्र को आधार बनाकर ट्रांसफर किए थे, लेकिन 27 फ़रवरी को केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक अन्य पत्र जारी कर 23 फ़रवरी के पत्र में दिए गए आदेश को स्पष्ट किया, जिसके बाद इस ट्रांसफ़र आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में 60 से अधिक याचिकाएं लगाई गई थी। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने प्रदेश भर के तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू-अभिलेख, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख, जनपद पंचायत के सीईओ सहित प्रशासनिक अफसरों का तबादला आदेश जारी किया है। राज्य शासन के इस ट्रांसफर आदेश को चुनौती देते हुए प्रशासनिक अफसरों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की है। याचिकाकर्ता प्रशासनिक अफसरों ने तर्क दिया है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने बीते 27 फरवरी को लोकसभा चुनाव में कार्यकाल और ट्रांसफर को लेकर नया स्पष्टीकरण दिया है, जिसके मुताबिक लोकसभा चुनाव में तीन साल के कार्यकाल का नियम केवल रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग आफिसर पर लागू होता है। लेकिन, राज्य सरकार ने आयोग के निर्देशों को आधार पर बनाकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू-अभिलेख, सहायक अधीक्षक व जनपद पंचायतों के सीईओ का भी ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया है, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रतीक शर्मा सहित अन्य वकीलों ने तर्क दिया और आयोग के स्पष्टीकरण के आधार पर तबादला आदेश निरस्त करने की मांग की। वहीं, राज्य शासन की तरफ से भी बताया गया कि चुनाव आयोग ने ट्रांसफर को लेकर नया दिशा निर्देश जारी किया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस एन के व्यास की सिंगल बेंच ने तबादला आदेश निरस्त कर दिया है।
बता दें, कि राज्य सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग के 23 फरवरी के दिशा निर्देश को आधार पर बनाकर प्रशासनिक अफसरों का तबादला आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार 49 तहसीलदार, 79 नायब तहसीलदार, 5 भू-अभिलेख अधीक्षक, 59 सहायक अधीक्षक भू- अभिलेख, 23 जनपद पंचायत सीईओ का ट्रांसफर किया गया था।