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तहसील दफ्तर में भ्र्ष्टाचार पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- जनहित के कामों को मजाक बना रखा है अधिकारियों ने, चीफ जस्टिस ने अब तहसीलदारों से मांगी प्रकरणों की जानकारी

 







बिलासपुर। तहसील कार्यालय में डायवर्सन सहित अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार और पैसे दिए बिना काम नहीं होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने जनहित के कामों को मजाक बना रखा है। हर छोटी बात के लिए लोगों को क्या हाईकोर्ट आना पड़ेगा? चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शासन से पूछा कि जब तीन महीने में डायवर्सन, नामांतरण के काम पूरे होने हैं तो साल भर क्यों लगते है?


 हाईकोर्ट के निर्देशानुसार बिलासपुर कलेक्टर ने मंगलवार को कोर्ट में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में कहा कि बिलासपुर तहसील में डायवर्सन के कुल 781 मामले पेंडिंग थे, जिसमें से 720 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है। साथ ही लापरवाही के मामले में 2 रीडर और एक पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने इस पर कहा कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद पिछले तीन दिनों में ही इनमें से 300 प्रकरण निराकृत किए गए हैं। जबकि ये महीनों से लंबित थे। एसडीएम कोर्ट सहित यही स्थिति तहसील और दूसरे राजस्व न्यायालयों की भी है। महीनों से 10 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं। वहीं कलेक्टर द्वारा गठित जांच टीम ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि कार्य ऑनलाइन किए जाने हैं, जबकि ऑफलाइन किए जाने के कारण गड़बड़ी हो रही है। इसके बाद कोर्ट ने तहसीलदारों से भी तहसील आफिस में लंबित प्रकरणों की जानकारी प्रस्तुत करने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।

 बिलासपुर निवासी रोहणी दुबे ने स्थानीय तहसील कार्यालय में जमीन के डायवर्सन प्रकरण के लिए आवेदन किया था। काफी समय बाद भी तहसील में इस मामले की न तो सुनवाई हुई, न ही इसका निराकरण किया गया। इस बीच उन्हें जानकारी मिली कि पैसों को लेकर यह प्रकरण रोका गया है। इसका विरोध करते हुए उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की और प्रकरण रोकने की वजह जाननी चाही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि तहसील कार्यालय में एसडीएम की नाक के नीचे जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।

याचिका में कहा गया है कि बिलासपुर के तहसील कार्यालय में स्टाफ की मनमानी लंबे समय से चल रही है। कार्यों को जानबूझकर कर अटकाने सहित भ्रष्टाचार की शिकायत आए दिन आते रहती हैं। कई बार आरोप लगते रहे हैं कि तहसील में बिना पैसों के कोई काम नहीं होता। नामांतरण, सीमांकन, डायवर्सन सहित संबंधित अन्य कार्यों के लिए खुलेआम पैसे की मांग की जाती है। यहां दलाल भी सक्रिय हैं, जिनको यहां के स्टाफ का संरक्षण है।

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