बिलासपुर। शहर में ठेकेदारों का एक काकस हावी है। नेताओं की पहुंच जनप्रतिनिधियों के नाम का हवाला देते यह ठेकेदार गुणवत्ताहीन काम कर रहे है। चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की, यह ऐसे ठेकेदार हैं जो हर जगह अपनी गोटी फिट करने में माहिर हैं। समय के अनुसार पर्दे के पीछे ठेकेदारी की जुगत मे इनका कोई तोड़ नहीं है। बिलासपुर नगर निगम को चारागाह बना बैठे यह ठेकेदार नाम किसी का काम किसी का, इसी तर्ज पर काम कर रहे हैं। जब वार्ड के पार्षद खुद ठेकेदार बन गए तो गुणवत्ता कौन चेक करेगा?
विभागों, अधिकारी, जनप्रतिनिधि, ठेकेदारों की मिली भगत से जमकर मचा रहे लूट खसोट
हालत यह है कि जो विभागीय कर्मचारी अधिकारी यदि इनकी ना सुने तो उसकी टेबल उसका विभाग तक बदलवाने की धमकी चमकी पर उतारू हो जाते हैं यह ठेकेदार। शहर की सफाई व्यवस्था, शहर का सौंदर्यीकरण, शहर के रोड नाली में सिर्फ ऐसे ठेकेदारों के कारण सुधार नहीं हो पा रहा है। बड़े अधिकारी भी जमीनी हकीकत से अनजान हैं।
नगरीय निकाय मंत्री के क्षेत्र में भी बदहाली
सत्ता परिवर्तन के बाद भी ठेकेदारों की मनमानी के कारण नगरीय निकाय मंत्री के क्षेत्र बिलासपुर नगर निगम में इसी तरह गुणवत्ताहीन काम हो रहे हैं। धवस्त सफाई व्यवस्था, स्मार्ट सिटी सौंदर्यीकरण के नाम पर अमानक निर्माण कार्य चल रहे हैं। बिलासपुर शहर कहने को तो स्मार्ट सिटी का मेडल लटकाए हुए है, पर इस स्मार्ट सिटी में सिर्फ पैसों की बंदरबांट हो रही है। सवाल यह भी है कि इस पर नगरीय निकाय मंत्री और जन प्रतिनिधि आगे कदम उठाएंगे, जनता को वास्तविक सुविधा मिलेगी, या फिर यह ठेकेदार यूं ही शासकीय पैसों की लूट खसोट में लगे रहेंगे।
सत्ता बदली पर ठेकेदारों का रवैया नहीं
उच्च अधिकारी, बड़े नेताओं की आंखों में धूल झोंक रहे ठेकेदार सत्ता के परिवर्तन में रंग और चोला बदलकर बिलासपुर को बदरंग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या ऐसे ठेकेदारों पर विभागीय मंत्री, जनप्रतिनिधि अधिकारियों का भी वरदहस्त है??
नेताओं के नाम का करते हैं उपयोग
नेताओं के नाम का उपयोग करके ये ठेकेदार मनमानी में जुटे हैं।स्मार्ट सिटी में न लार्वा कंट्रोल पेस्ट का छिड़काव, न नियमित नाले नालियों की सफाई हो रही।
मुख्य सड़क, नाले नालियों को दिखावे के लिए ही साफ़ किया जाता है। गली- मोहल्लों के अंदर की स्थिति गांव से भी बदतर है। ठेकेदार अपने ही संबंधियों के नाम पर रोस्टर में दर्शाकर पैसों की बंदर बाट कर रहे हैं। निगम के जनप्रतिनिधि भी खुद ही रोस्टर में घपला कर रहे हैं।
जनता के सेवक स्वयं कर रहे ठेकेदारी, तो व्यवस्था सुधरे कैसे
सारी स्थिति देखते हुए अब सवाल है कि निकाय मंत्री का शहर क्या ऐसा रहेगा? घपलेबाज लोगों पर कार्रवाई होगी या जनता इसी तरह पीड़ित और सुविधाओं से होते रहेगी।