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High Court : करंट से मौत हो तो जिम्मेदारी बिजली कंपनी की, 10 लाख 37 हजार रुपए मुआवजा और ब्याज देने के निर्देश

 




बिलासपुर। बिजली करंट से महिला की मौत के लिए हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने महिला के पति और बच्चों को 10 लाख 37 हजार 680 रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। मुआवजे में देर के लिए घटना दिनांक से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने के निर्देश भी दिए।





भाटापारा निवासी महिला की 13 दिसंबर 2017 को घर में नहाते समय बोर के करंट से मौत हो गई थी। पति लाला राम यादव और बच्चों को निचले कोर्ट ने मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। इस पर विद्युत कंपनी ने हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए सख्त दायित्व सिद्धांत लागू किया। इसके अनुसार यह माना गया कि खतरनाक गतिविधि में शामिल व्यक्ति या संगठन किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है, गलती या लापरवाही की परवाह किए बिना।

महिला की मौत के बाद उसके पति और बच्चों ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) की जिम्मेदारी का हवाला देते हुए 11 लाख रुपए मुआवजे की मांग करते हुए सिविल बाद दायर किया। वादी ने तर्क दिया कि यह घटना सीएसपीडीसीएल की विद्युत सुरक्षा, विशेषकर अर्थिंग प्रणाली को बनाए रखने में लापरवाही के कारण हुई। इसके विपरीत, कंपनी ने यह कहते हुए दायित्व से इनकार कर दिया कि दुर्घटना गृहस्वामी की अनुचित आंतरिक वायरिंग और मृतक की लापरवाही के कारण हुई। सबूतों के आधार पर, ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादियों को सख्त दायित्व के सिद्धांत के तहत उत्तरदायी पाया। पीड़ित पति को 10 लाख 37 हजार 680 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया। इसमें क्षतिपूर्ति के लिए 9 लाख 67 हजार 680 रुपए और मानसिक पीड़ा, संपत्ति की हानि और अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 70 हजार रुपए शामिल हैं। साथ ही मुआवजा राशि पर घटना दिनांक से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने के निर्देश भी दिए। निचले कोर्ट के निर्णय के विरुध्द बिजली कंपनी ने हाईकोर्ट में प्रथम अपील प्रस्तुत की। सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट के फैसले की पुष्टि की और प्रतिवादी कंपनी को मृतक को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी पाया। बिजली बोर्ड के मामले में कोर्ट ने कहा कि सख्त दायित्व के मामलों में, कंपनी को उत्तरदायी ठहराया जाता है, भले ही मृतक सावधानी बरतकर विशेष नुकसान से बच सकता था या नहीं।

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