बिलासपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन द्बारा नगर निगम बीरगांव में स्थित उद्योगों को टैक्स में छूट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी आदेश या कार्रवाई से व्यक्तिगत रूप से कोई प्रभावित न होता हो या उसके मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण या उल्लंघन न हो तो किसी व्यक्ति को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में उचित फोरम में जनहित याचिका प्रस्तुत करने की छूट दी है। याचिकाकर्ता एवज देवांगन ने राज्य शासन द्बारा बीरगांव नगर निगम सीमा क्षेत्र में स्थित उद्योगों को निगम टैक्स में छूट दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में राज्य शासन के 13 सितंबर 2023 को पारित आदेश पर दिशा निर्देश दिए जाने की मांग की गई। इस अनुसार नगरपालिका सीमा के भीतर स्थित कारखाने, उद्योगों से नगर निगम, बीरगांव के माध्यम से वित्तीय वर्ष एक जनवरी 2010 से, पर्याप्त जुर्माने के साथ बकाया करों को वसूल किए जाने की मांग की गई।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क प्रस्तुत कर कहा गया कि अधिसूचना 22 दिसंबर 2009 के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में 6 गाँवों के अंतर्गत बीरगाँव, उरला, अछोली, सरोना, नगरपालिका के अंतर्गत रावाभाठा और उरकुरा को भी शामिल किया गया है।
टैक्स वसूली के लिए शासन के समक्ष आवेदन भी
याचिका में कहा कि नगर परिषद, बीरगांव को नगर निगम के रूप में अपग्रेड किया गया था। समय के साथ, नगर पालिकाओं के करों में वृद्धि हुई और अंतिम निर्धारण हुआ। कराधान की शक्तियाँ नगर पालिक अधिनियम की धारा 132 से 142 के अंतर्गत निर्धारित किया गया है। याचिकाकर्ता 15.फरवरी 2016 से राज्य शासन सहित सभी सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष लगातार अभ्यावेदन कर रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है। राज्य शासन की ओर से कहा गया कि आदेश 13 सितंबर 2023 को राज्य द्बारा जनहित में पारित किया गया है। याचिकाकर्ता ने इसके बावजूद याचिका दायर की उसके पास इसे चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।